रास्तो की दूरियाँ
फिर भी तुम हरदम पास
फिर भी तुम हरदम पास
जब भी
मै कभी हुई उदास
न जाने कैसे?
समझे तुमने मेरे जजबात
करवाया
हर पल अपना अहसास
और
याद हर वो बात दिलाई
जब
मुझे दी थी घर से विदाई
तेरा
हर शब्द गूँजता है
कानो मे सन्गीत बनकर
जब हुई
जरा सी भी दुविधा
दिया साथ तुमने मीत बनकर
दुनिया
तो बहुत देखी
पर तुम जैसा कोई न देखा
तुम
माँ हो मेरी
कितनी अच्छी मेरी भाग्य-रेखा
निकिता बेटे,
ReplyDeleteखुश रहो
माँ के लिए बेहद भावनात्मक अभिव्यक्ति दी है आपने इस कविता के माध्यम से,
हमें आप जैसे संस्कारित विचारों वाले युवा वर्ग की ही आवश्यकता है.
आपके विचार जितने सुन्दर होंगे आपका भविष्य भी उतना परिपक्व और आदर्श होगा
सदा अच्छा लिखती रहो .
- विजय