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Wednesday, 13 May 2009

माँ का रूप...

भगवान का दूसरा रूप है माँ,
उसके लिए दे देंगे हम जाँ,
हमको मिलता जीवन उनसे,
कदमो में है स्वर्ग बसा,
संस्कार वह हमे सिखलाती,
अच्छा-बुरा हमे बतलाती,
हमारी गलतियों को सुधारती,
प्यार वह हम पर बरसाती,
तबियत अगर हो जाये खराब,
रात-रात भर जागते रहना,
माँ बिन जीवन है अधुरा,
खाली-खाली सूना सूना,
खाना पहले हमे खिलाती,
बाद में वह खुद है खाती,
हमारी ख़ुशी में खुस हो जाती,
दुःख में हमारे आंसू बहाती,
कितने खुशनसीब है हम,
पास है हमारे माँ,
होते बदनसीब वो कितने,
जिनके पास न होती माँ...

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