माँ तू सो जा तुझे नींद आती होगी,
मुझे खिलाती रहती हो तुम क्या खाती होगी.
हर मुसीबत से बच कर यहाँ तक आया,
शायद माँ दुआ में हाथ उठाती होगी.
मैं खुश हूँ यहाँ कोई फ़िक्र नहीं है मुझे,
माँ को वहां मेरी याद हर पल आती होगी .
आते वक़्त वो खुश थी जैसे कोई गम नहीं,
मुझे पता है मेरी याद उसे रुलाती होगी .
मेरी खैरियत की हरदम फ़िक्र मंद है वो,
फ़ोन की हर घंटी घबरा जाती होगी वो.
कैसे मैं जाऊ उसके पास मेरे भगवान,
मेरे इंतजार में खिड़की दरवाजे पर आती जाती होगी .
बहुत सुन्दर... हृदयस्पर्शी सृजन।
ReplyDeletewah!!!
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी रचना.....
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