मेरी माँ,
अनपढ़ है ।
वह पढ़ नहीं सकती ।
मगर जब भी मै गावं जाता हूँ,
वह मुझसे लिपटकर
अपने आंसुओ की कलम से ,
लिखती है कुछ ख़ुशी के गीत ।
मेरी माँ,
अनपढ़ है ।
वह पढ़ नहीं सकती ।
और जब मै छुट्टियाँ बिताकर लौटता हूँ,
वह गाँव के छोटे से अड्डे तक आती है।
तब मुझसे लिपटकर
अपने आंसुओ की कलम से ,
लिखती है कुछ विरह वेदना के गीत ।
अनपढ़ है ।
वह पढ़ नहीं सकती ।
मगर जब भी मै गावं जाता हूँ,
वह मुझसे लिपटकर
अपने आंसुओ की कलम से ,
लिखती है कुछ ख़ुशी के गीत ।
मेरी माँ,
अनपढ़ है ।
वह पढ़ नहीं सकती ।
और जब मै छुट्टियाँ बिताकर लौटता हूँ,
वह गाँव के छोटे से अड्डे तक आती है।
तब मुझसे लिपटकर
अपने आंसुओ की कलम से ,
लिखती है कुछ विरह वेदना के गीत ।
maa ko shat shat naman..!
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