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Saturday, 12 May 2012

माँ की याद में ।

माँ !
शहर नहीं, सड़क  नहीं,
तू हमारा गाँव थी ।
पीपल, बरगद, पाकड़,
तू नीम की छाँव थी ।

माँ !
गीता, कुरान  थी ,
गुरु ग्रन्थ शब्द ज्ञान थी ।
तू घर की शान  थी ।
आन, मान , अभिमान  थी ।

माँ!
जीवन  एक  संघर्ष है,
दिए तुने सन्देश ।
हमे छोड़ कर चली गई,
अब यादे है शेष ।
तुझसे सुंदर लगता था,
हमे  यहाँ जमाना ।
वृन्दावन  लगता था,
घर आँगन  सुहाना ।

माँ!
जीवन की बरसात  में,
बन  जाती थी छाता ।
पति, पुत्री ,  पुत्र से,
सचमुच  का था नाता ।

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