तेरी
उँगलिओ के स्पर्श को
जो चलती थी मेरे बालो मे
तेरा
वो चुम्बन
जो अकसर करती थी
तुम मेरे गालो पे
वो
स्वादिष्ट पकवान
जिसका स्वाद
नही पहचाना मैने इतने सालो मे
वो मीठी सी झिडकी
वो प्यारी सी लोरी
वो रूठना - मनाना
और कभी - कभी
तेरा सजा सुनाना
वो चेहरे पे झूठा गुस्सा
वो दूध का गिलास
जो लेकर आती तुम मेरे पास
मैने पिया कभी आँखे बन्द कर
कभी गिराया तेरी आँखे चुराकर
आज कोई नही पूछता ऐसे
???????????????????
तुम मुझे कभी प्यार से
कभी डाँट कर खिलाती थी जैसे
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प्रिय
ReplyDeleteखुशामदीद
स्वागतम
हमारी बिरादरी में शामिल होने पर बधाई
मेरी सबसे बड़ी चिंता ये है कि आज हमारे समाज का शैक्षिक पतन उरूज पर है पढना तो जैसे लोग भूल चुके हैं और जब तक आप पढेंगे नहीं, आप अच्छा लिख भी नहीं पाएंगे अतः सिर्फ एक निवेदन --अगर आप एक घंटा ब्लॉग पर लिखाई करिए तो दो घंटे ब्लागों की पढाई भी करिए .शुभकामनाये
अंधियारा गहन जरूरत है
घर-घर में दीप जलाने की
जय हिंद
माँ का स्थान कौन ले पाया है भला....
ReplyDeleteबहुत भावुक रचना
मुनव्वर राणा साहब कहते हैं कि-
ReplyDeleteमेरे गुनाहों को वो इस कदर धो देती है।
माँ जब गुस्सा में हो तो रो देती है।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
ma, ke bad to fullstop hai, narayan narayan
ReplyDeleteहुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं ............
ReplyDeleteइधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ
गज़ब.........बहुत अच्छे....सुन्दर....और कुछ नहीं कह पाउँगा मैं.......दरअसल माँ पर जब भी कुछ लिखा जाता है.....तो वह माँ-सा ही बन जाता है....है ना.....??
ReplyDeleteमेरी दुनियाँ है माँ....तेरे आँचल में .
ReplyDeleteबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeleteब्लोग जगत मे आपका स्वागत है। सुन्दर रचना। मेरे ब्लोग ्पर पधारे। प्या्र ी चरम अीव्यति।
ReplyDeleteअच्छा लिखा है आपने और सत्य भी , शानदार लेखन के लिए धन्यवाद ।
ReplyDeleteमयूर दुबे
अपनी अपनी डगर