माँ शब्द उच्चारते ही लबखुल जाते हैं, मानो कह रहे हों, लो दिल की दरीचे खुल गए , अब भावनाओ की गांठे खोल दो, बहने दो मन को माँ जो सामने है |
वो सुकूनजो मिलता है माँ की गोदि मेसर रख कर सोने मे
वो अश्रु जो बहते हैमाँ के सीने सेचिपक कर रोने मे
वो भावजो बह जाते है अपने ही आप
वो शान्तिजब होता है ममता से मिलाप
वो सुखजो हर लेता हैसारी पीडा और उलझन
वो आनन्दजिसमे स्वच्छ हो जाता है मन
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