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Saturday, 18 April 2009

नि:शब्द है

वो सुकून
जो मिलता है 
माँ की गोदि मे
सर रख कर सोने मे

वो अश्रु 
जो बहते है
माँ के सीने से
चिपक कर रोने मे

वो भाव
जो बह जाते है अपने ही आप

वो शान्ति
जब होता है ममता से मिलाप

वो सुख
जो हर लेता है
सारी पीडा और उलझन

वो आनन्द
जिसमे स्वच्छ 
हो जाता है मन

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