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Thursday, 4 June 2009

हिसाब - किताब !

कभी भी इस बात को लेकर सवाल उठाये की माँ-बाप ने आपको क्या दिया |
ही इस बात की डींग हांके की मैंने माँ-बाप के लिए क्या-क्या नही कर दिया| उनके प्यार और परवाह का कोई मोल नही है...

छोटा बच्चा बहुत तेजी के साथ रसोईघर में पहुँचा| माँ उस समय खाना बना रही थी| बच्चे ने एक कागज़ थमाया, जिसमे उसने कुछ हिसाब-किताब किया था| माँ ने पल्लू से हाथ पोछकर पढ़ना सुरु किया| उसमे लिखा था:
  • बागीचे में घास की कटाई के लिए : १० रुपए
  • अपना कमरा साफ़ करने के लिए : ५ रुपए
  • आपके साथ किराने की दूकान तक जाने के लिए : २० रुपए
  • छोटे भाई की देखभाल के लिए : १५ रुपए
  • कचरा बाहर फेकने के लिए : ५ रुपए
  • किताबो को तरतीब से रखने के लिए : ५ रुपए
  • मुझे आपसे इस हफ्ते लेने है : कुल ६०
माँ ने देखा, बेटा उसकी और सवालिया निगाहों से देख रहा था| माँ ने पेन उठाया और उसी कागज़ के दुसरे तरफ़ लिखने लगी :
  • नौ महीने तुम्हे पेट में रखने के लिए : कोई चार्ज नही
  • रात-रात जागकर तुम्हारी देखभाल के लिए : कोई चार्ज नही
  • बिना नागा खाना बनाकर तुम्हे खिलाने का : कोई चार्ज नही
  • तुम्हारी नाक पोछने, कपड़े धोने के लिए : कोई चार्ज नही
  • तुम्हारे खिलौनों के लिए : कोई चार्ज नही
  • और तुम जोड़ सको, तो मेरे प्यार के लिए : कोई चार्ज नही
बेटे ने जब पूरा हिसाब पढ़ लिया, तो उसकी आँखों में मोटे-मोटे आंसू बहने लगे| उसने पेन लिया और अपने हिसाब की तरफ़ बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा : - पुरा भगतान पहले से हो चुका है|





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