कल रात मेरे बिस्तर पर मुझे एक आहट ने चौंका दिया,
फिर एक नर्म हवा का झोंका मेरी परेशानी को छु गया,
आँख खुली तो माँ को देखा, कुछ हिलते लब कुछ फडफडाते लब,
मैंने धीरे से मुस्करा दिया,
माँ आज भी उठ कर रातों में मेरी परेशानी को चूमती है,
और अपने हिस्से की भी सब दुआएं मुझ पर फूंका करती है,
बस इतना याद है मुझे के,
मैंने बचपन में बस एक बार कहा था,
माँ मुझे डर लगता है.
maa apki ragon se utar panne per suraksha ghera banati hai....
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ReplyDeleteतस्वीर बोल रही है!!
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