माँ शब्द उच्चारते ही लबखुल जाते हैं, मानो कह रहे हों, लो दिल की दरीचे खुल गए , अब भावनाओ की गांठे खोल दो, बहने दो मन को माँ जो सामने है |
मॉं से ही सब रिश्ते नातेमॉं जग का आधारमॉं के बिन जग सुना हैसारे सुख बेकार।कभी हमारी रचनाओं भी नज़रे करम करें।
मै हर किसी की माँ में अपनी माँ को देखता हूँ, क्योकि मेरी माँ जब मै दो साल का था तब ख़तम हो गयी थी
sun kar dukh hua ravindra ji....
मॉं से ही सब रिश्ते नाते
ReplyDeleteमॉं जग का आधार
मॉं के बिन जग सुना है
सारे सुख बेकार।
कभी हमारी रचनाओं भी नज़रे करम करें।
मै हर किसी की माँ में अपनी माँ को देखता हूँ, क्योकि मेरी माँ जब मै दो साल का था तब ख़तम हो गयी थी
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