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Saturday, 24 April 2010

माँ : एक याद


माँ!
याद तो आता नहीं
तुम्हारा
गोदी में वो मुझे झुलाना
दूध का अमृतरस चखाना
झुनझुने से मेरा दिल बहलाना
लोरी का वो गुनगुनाना
माथे को प्यार से चूमना
गुदगुदी से हँस हँस हँसाना
उँगली पकड़ चलना सिखाना

पर
याद है, माँ मुझे
हाथ में उँगली थामें लिखवाना
खून पसीने से मेरे जीवन को सींचना
मुश्किलों में हौसले का बँधाना
प्यार में आँसुओं का छलकना
गम में रोऊँ तो सहलाना
आने चाहे तुफ़ानों को रोक लेना
अंधेरे में रोशनी का दिखलाना
पास ना रहूँ, तो याद में रोना

और फिर वो पल
जब-
माँ बेटी का रिश्ता बना दोस्ताना
माँ के इस प्यार की बेल का
चढ़ते ही जाना
इंद्रधनुषी रंग में जीवन को रंग देना
तुम्हारी हँसी में दुनिया पा जाना

जीवन की है यह ज्योति
जलती रहे निरंतर
आशीश रहे सदा माँ का
असीम है माँ का प्यार!

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