माँ शब्द उच्चारते ही लबखुल जाते हैं, मानो कह रहे हों, लो दिल की दरीचे खुल गए , अब भावनाओ की गांठे खोल दो, बहने दो मन को माँ जो सामने है |
माँ हैतो लोरी है। शगुन हैमाँ हैतो गीत है। उत्सव हैमाँ हैतो मंदिर है। मोक्ष हैमाँ हैतो मुमकिन है शहंशाह होना,माँ के आँचल से बड़ादुनिया में कोई साम्राज्य नहीं।
माँ के आँचल से बड़ादुनिया में कोई साम्राज्य नहीं।bahut sahi kaha hai kisi ne......
nice nikita ji.... aapke vichaar wakai bahut achche hai.
bahut khoob kikhiti rahie.....................
माँ के आँचल से बड़ादुनिया में कोई साम्राज्य नहीं।....बहुत खूब,लाजवाब!!!
बिलकुल सहीमाँ के आँचल से बड़ादुनिया में कोई साम्राज्य नहीं।बेहतरीन सत्य है
माँ के आँचल से बड़ा
ReplyDeleteदुनिया में कोई साम्राज्य नहीं।
bahut sahi kaha hai kisi ne......
nice nikita ji.... aapke vichaar wakai bahut achche hai.
ReplyDeletebahut khoob kikhiti rahie.....................
ReplyDeleteमाँ के आँचल से बड़ा
ReplyDeleteदुनिया में कोई साम्राज्य नहीं।
....बहुत खूब,लाजवाब!!!
बिलकुल सही
ReplyDeleteमाँ के आँचल से बड़ा
दुनिया में कोई साम्राज्य नहीं।
बेहतरीन सत्य है