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Tuesday 7 April 2015

बहु ने आइने मेँ लिपिस्टिक ठिक
करते हुऐ
कहा -:
"माँ जी, आप
अपना खाना बना लेना,
मुझे और इन्हें आज एक
पार्टी में जाना है ...!!
"बुढ़ी माँ ने कहा -: "बेटी मुझे
गैस वाला
चुल्हा चलाना नहीं आता ...!!
"तो बेटे ने कहा -:
"माँ, पास वाले मंदिर में आज
भंडारा है ,
तुम वहाँ चली जाओ
ना खाना बनाने की कोई
नौबत
ही नहीं आयेगी....!!!
"माँ चुपचाप अपनी चप्पल पहन
कर मंदिर
की ओर
हो चली.....
यह पुरा वाक्या 10 साल
का बेटा रोहन सुन
रहा था |
पार्टी में जाते वक्त रास्ते में
रोहन ने अपने
पापा से
कहा -:
"पापा, मैं जब बहुत
बड़ा आदमी बन जाऊंगा ना
तब मैं भी अपना घर
किसी मंदिर के पास
ही बनाऊंगा ....!!!
माँ ने उत्सुकतावश पुछा -:
क्यों बेटा ?
....रोहन ने जो जवाब दिया उसे
सुनकर उस बेटे
और बहु
का सिर शर्म से नीचे झुक
गया जो
अपनी माँ को मंदिर में छोड़ आए
थे.....
रोहन ने कहा -: क्योंकि माँ,
जब मुझे भी किसी दिन
ऐसी ही किसी
पार्टी में
जाना होगा तब तुम
भी तो किसी मंदिर में
भंडारे में खाना खाने जाओगी ना
और मैं
नहीं चाहता कि तुम्हें कहीं दूर
के मंदिर में
जाना पड़े....!!!!
पत्थर तब तक सलामत है
जब तक
वो पर्वत से जुड़ा है .
पत्ता तब तक सलामत
है जब तक वो पेड़ से जुड़ा है
. इंसान तब तक
सलामत है
जब तक वो परिवार से
जुड़ा है .
क्योंकि परिवार से अलग होकर
आज़ादी तो मिल जाती है
लेकिन संस्कार चले
जाते हैं ..
एक कब्र पर लिखा था...
"किस को क्या इलज़ाम दूं
दोस्तो...,
जिन्दगी में सताने वाले भी अपने
थे,
और दफनाने वाले
भी अपने थे."

💕 Love You Maa

Saturday 4 April 2015

एक टीचर ने मजाक में
बच्चो से कहा
जो बच्चा कल स्वर्ग से
मिट्टी लायेगा, मैं
उसे इनाम दूँगी..!
अगले दिन टीचर
क्लास में सब बच्चों से
पूछती है.
क्या कोई बच्चा मिट्टी लाया?
सारे बच्चे खामोश रहते हैं...
एक बच्चा उठकर
टीचर के पास जाता है
और कहता है,
लीजिये मैडम,
मैं लाया हूँ स्वर्ग से
मिट्टी..!
टीचर उस बच्चे को
डांटते हुए कहती है;
मुझे बेवकूफ़ समझता है..
कहाँ से लाया है ये
मिट्टी..?
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रोते रोते बच्चा बोला -"मेरी माँ के
पैर के नीचे से.......... फिर वो टीचर रो पड़ी और उस बच्चे को गले लगा लिया।

इसलिए कहते हैं...

 न अपनों से खुलता है, 
न ही गैरों से खुलता है.

ये जन्नत का दरवाज़ा है,
मेरी माँ के पैरो से खुलता है.!!
💕 Love You Maa

Saturday 28 March 2015

हर रिश्ते में मिलावट देखी, 
कच्चे रंगो की सजावट देखी,
लेकिन सालों साल देखा है माँ को,
उसके चेहरे पर न कभी थकावट देखी,
न ममता में कभी गिरावट देखी। 

धरोहर !

माँ अपने आलोक  निखारो, नर को नरक -त्रास  से वारो।
पल्लव में रस , सुरभि सुमन में, फल में दल करलव उपवन में,
लाओ चारु चमन  चितवन में, स्वर्ग धरा के कर तुम  धारो । 

                                                                                  - निराला जी !