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Saturday 28 July 2012

माँ तू सो जा तुझे नींद आती होगी !

माँ तू सो जा तुझे नींद आती होगी,
मुझे खिलाती रहती हो तुम  क्या खाती होगी.

हर मुसीबत से बच कर यहाँ तक  आया,
शायद  माँ दुआ में हाथ उठाती होगी.

मैं खुश हूँ यहाँ कोई फ़िक्र नहीं है मुझे,
माँ को वहां मेरी याद हर पल आती होगी . 

आते वक़्त वो खुश थी जैसे कोई गम  नहीं,
मुझे पता है मेरी याद उसे रुलाती होगी .

मेरी खैरियत  की हरदम  फ़िक्र मंद है वो,
फ़ोन की हर घंटी  घबरा जाती होगी वो. 

कैसे मैं जाऊ उसके पास मेरे भगवान,
मेरे इंतजार में खिड़की दरवाजे पर आती जाती होगी .

Friday 13 July 2012

ये माँ तेरी सूरत से अलग , भगवान  की सूरत क्या होगी,
तेरे आँचल  के पहलु से ज्यादा, सुकून और फुर्सत क्या होगी,
वर्षों तरासो कोई मूरत  फिर भी , तुम जैसी हसीं मूरत क्या होगी ,
लाख  कर लू मई पूजा उस भगवान  की , पर तेरे आशीष से ज्यादा मेरी जरूरत क्या होगी
ये माँ तेरी सूरत से अलग , भगवान  की सूरत क्या होगी.

Saturday 12 May 2012

माँ की याद में ।

माँ !
शहर नहीं, सड़क  नहीं,
तू हमारा गाँव थी ।
पीपल, बरगद, पाकड़,
तू नीम की छाँव थी ।

माँ !
गीता, कुरान  थी ,
गुरु ग्रन्थ शब्द ज्ञान थी ।
तू घर की शान  थी ।
आन, मान , अभिमान  थी ।

माँ!
जीवन  एक  संघर्ष है,
दिए तुने सन्देश ।
हमे छोड़ कर चली गई,
अब यादे है शेष ।
तुझसे सुंदर लगता था,
हमे  यहाँ जमाना ।
वृन्दावन  लगता था,
घर आँगन  सुहाना ।

माँ!
जीवन की बरसात  में,
बन  जाती थी छाता ।
पति, पुत्री ,  पुत्र से,
सचमुच  का था नाता ।

"सभी ब्लॉग दर्शकों को मातृ दिवस की हार्दिक सुभकामनाएँ !"


हे भगवान! मेरी ये जमानत तेरी इस अदालत में रखना,
मैं इस दुनिया में रहूँ या न रहूँ मेरी प्यारी माँ को सही सलामत रखना |

माँ रेशम का तार ।

माँ चन्दन  की गंध  है, माँ रेशम का तार ।
बंधा हुआ  जिस  तार से, सारा ही घर द्वार ।


माँ थी घर में जब  तलक , जुड़े रहे सब तार ।
माँ के जाते ही उठी, आँगन  में दीवार ।


यहाँ वहां सारा जहाँ, नापे अपने पाँव ।
माँ के आँचल सी, नहीं और कही भी छावं ।


रिश्तों का इतिहास  है, रिश्तों का भूगोल  ।
संबंधों में जोड़ का , माँ है फेविकोल ।

मेरी माँ अनपढ़ है ।

मेरी माँ,
अनपढ़ है ।
वह पढ़ नहीं सकती ।


मगर जब भी मै गावं जाता हूँ,
वह मुझसे लिपटकर
अपने आंसुओ की कलम  से ,
लिखती है कुछ ख़ुशी के गीत  ।


मेरी माँ,
अनपढ़ है ।
वह पढ़ नहीं सकती ।


और जब मै छुट्टियाँ बिताकर लौटता हूँ,
वह गाँव के छोटे से अड्डे तक  आती है।


तब मुझसे लिपटकर
अपने आंसुओ की कलम  से ,
लिखती है कुछ विरह वेदना के गीत ।

Saturday 5 May 2012

माँ का प्यार फिर याद आया।

माँ एक  सुखद अहसास है,
जो अपने  में  ही  कुछ  खास  है ,
जब जब दुःख पड़ता खुद पर,
'माँ' नाम  आता जुबान पर,
माँ की गोद मे स्वर्ग  लगता है,
हर माँ में रब बसता है,
माँ का साया रहने से, 
बूढ़े भी बच्चे लगते है ,
लेकिन बिन  माँ के बच्चे भी,
बूढ़े बन जाते है,
माँ का प्यार जवां रहता  है ऊम्र  भर,
बिन माँ के कट भी नहीं पाता एक भी पल,
आज फिर मन भर आया क्योंकि,
माँ का प्यार फिर याद आया।

Friday 13 January 2012

माँ भूखी रहती है !


माँ भूखी रहती है
खिलाने के लिए,
मेहनत मजदूरी करती है
पढ़ाने के लिए .


सादगी में रहती है
अच्छा पहनाने के लिए,
लाल-पीली होती है
सही राह दिखाने के लिए.


खून-पसीना बहाती है
अच्छा इंसान बनाने के लिए,
हर गम सहती है
बुराइयों से बचाने के लिए.


बड़े होकर कुछ कर दिखाएँ
गर्व करने के लिए,
किसी एक के लिए नहीं
कहती है सारे जमाने के लिए |