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Wednesday 5 May 2010

माँ इतनी खाश क्यों है ?


बारिश में मै जब घर वापस आयी....

भाई ने पूछा, "छाता लेकर क्यों नहीं गयी थे?

दीदी ने सलाह दी, "बारिश रुकने का इन्तजार करती"

पापा ने गुस्से में बोला, "जब ठण्ड लग जाएगी तब मालुम पड़ेगा"

लेकिन

मेरी माँ मेरे बाल सुखाती हुई बोली, "ये बारिश भी न, थोडा देर रुक नहीं सकती थी जब मेरी बेटी घर आ रही थी |

3 comments:

  1. hi , really liked ur blog,,,all the relationships we make are not worth enough to be compared with wt we share with our mom,,,,,,,,

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  2. माँ पर तो जितना लिखा जाता है, अच्छा ही होता है, पढ़ते पढ़ते आँखें नम हो गयी, बेहतरीन रचना!

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  3. अहसासों का बहुत अच्छा संयोजन है ॰॰॰॰॰॰ दिल को छूती हैं पंक्तियां ॰॰॰॰ आपकी रचना की तारीफ को शब्दों के धागों में पिरोना मेरे लिये संभव नहीं

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