नींद बहुत आती है पढ़ते पढ़ते,
माँ होती तो कह देता, एक प्याली चाय बना दे.
थक गया जली रोटी खा खा कर,
माँ तू होती तो कह देता पराठे बना दे.
भीग गयी आंसुओ से आँख मेरी,
माँ तू होती तो कह देता आँचल दे दे.
रोज वही कोशिश खुश रहने की,
माँ तू होती तो थोडा मुस्कुरा लेते.
देर रात हो जाती है घर पहुँचते पहुँचते,
माँ तू होती तो वक़्त से घर लौट आता.
सुना है कई दिनों से तू भी नहीं मुस्कुराई,
ये मजबूरियां न होती तो कब का घर चला आता.
बहुत दूर निकल आया हूँ अपने घर से,
माँ अगर तेरे सपनो की परवाह न होती तो घर लौट आता !
माँ होती तो कह देता, एक प्याली चाय बना दे.
थक गया जली रोटी खा खा कर,
माँ तू होती तो कह देता पराठे बना दे.
भीग गयी आंसुओ से आँख मेरी,
माँ तू होती तो कह देता आँचल दे दे.
रोज वही कोशिश खुश रहने की,
माँ तू होती तो थोडा मुस्कुरा लेते.
देर रात हो जाती है घर पहुँचते पहुँचते,
माँ तू होती तो वक़्त से घर लौट आता.
सुना है कई दिनों से तू भी नहीं मुस्कुराई,
ये मजबूरियां न होती तो कब का घर चला आता.
बहुत दूर निकल आया हूँ अपने घर से,
माँ अगर तेरे सपनो की परवाह न होती तो घर लौट आता !
माँ तो बस माँ होती है
ReplyDeletesach kaha verma ji aapne.... maa k aage to sara sansar chota hai....!
ReplyDeletemaa ko shat shat NAMAN !
bahut hi sundar rachna hai....
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